भाजपा ने अपने दिग्गज नेताओं को चुनाव मैदान में उतारकर मनोवैज्ञानिक बढ़त बनाने का प्रयास किया है। इससे भौगोलिक, जातिगत और सियासी समीकरण साधने का काम भी किया है। पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के माध्यम से मालवांचल में संदेश देने का काम किया गया है तो प्रहलाद सिंह पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते और राकेश सिंह को चुनाव मैदान में उतारकर महाकोशल के समीकरणों को साधा गया है। पटेल लोधी समाज से आते हैं तो कुलस्ते आदिवासी और राकेश सवर्ण वर्ग से हैं।
इसी तरह विंध्य में ओबीसी नेता गणेश सिंह और रीति पाठक के माध्यम से स्थानीय और जातीय समीकरण पर काम किया है। ग्वालियर-चंबल अंचल में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के माध्यम से संदेश देने का काम किया है। जाहिर है इन सभी नेताओं को मैदान में उतार कर भाजपा ने कांग्रेस की रणनीति पर पानी फेर दिया है।
भाजपा ने तीन विधायकों के टिकट काटे हैं। मैहर, नरसिंहपुर और सीधी के विधायकों का टिकट काटकर नए चेहरों पर दांव लगाया है। पार्टी ने अब तक 75 हारी हुई सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है।